Shastralochanam | संस्कृतशास्त

Srujan Jha

Shastralochanam | संस्कृतशास्त

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05.05.2018

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प्रास्ताविकम्
संस्कृतशास्त्रलोचनम् आभासी जगत का अनुपम उपहार है । संस्कृतशास्त्र परम्परा के संरक्षण का सरलतम आधुनिकतम तथा प्रभावपूर्ण मार्ग है । सामान्यतः शैक्षिक संस्थाओं में विशिष्ट शास्त्रीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया जाता है । जिसमें एक एक व्याख्यान के लिए हजारों रूपये व्यय होता है, किन्तु श्रोता के रूप में दस या बीस ही मिल पाते हैं । वे भी प्रायोजित होने के कारण सुनना पडता है । इसलिए हमारा आमुख पटल समूह संस्कृतं भारतम् जो अठ्ठरह हजार सक्रिय कार्यकर्ताओं का समूह है, जिसे एक विद्वत समुदाय के मार्गदर्शन में चलाया जा रहा है । मैं एक नया मार्ग निकला कि क्यों न यही व्याख्यान जनसंचार माध्यम के द्वारा निःशुल्क करवाया जाय । यही सोचकर 12 नवम्बर, 2017 से शास्त्रलोचनम् नाम से प्रत्येक शनिवार एवं रविवार को सायं आठ बजे से नौ बजे तक लाइव व्याख्यानमाला में आयोजित की जाए । इस देश के प्रसिद्ध विद्वान् जैसे कि आचार्य रामयत्न शुक्ल जी, आचार्य अभिराजराजेन्द्रमिश्र जी, आचार्य पीयूषकान्त दीक्षित जी, आचार्य ब्रजभूषण ओझा जी, आचार्य उमेश नेपाल जी, आचार्य महेश झा जी आदि अनेकों विद्वानों ने अपना योगदान देकर अभीतक इसको सफल बनाते आ रहे है । इसके आयोजन में संस्कृत भारतं के सक्रिय कार्यकर्ताओं का जैसे कि आचार्य मदन मोहन झा जी, डॉ- नवलता जी, डॉ- जगदानन्द झा जी, डॉ- अरविन्द कुमार तिवारी जी, डॉ चन्द्रकान्तशुक्ल जी, का योगदान अतुलनीय है । देश के प्रमुख संस्थानों के विद्वानों ने जैसे के बी. एच्. यू., सम्पूर्णानन्दसंस्कृतविश्वविद्यालय तथा राष्ट्रियसंस्कृतसंस्थान के परिसरों के न केवल विद्वान् अपितु अनुसंधाता भी अहमहमिकतया भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बना रहे है । इस कार्यक्रम को इस मुकाम पर संस्कृत भारतं के कार्यकर्ताओं ने पहुंचा दिया है कि लोगों के आचरण तथा दिनचर्या बन गई है शास्त्रालोचनम् सुनने की । इस कार्यक्रम की यही विशेषता है कि इसमें व्याख्यान संकलित होता है । उसे अपनी सुविधानुसार पुनः सुन सकते है ।
चुंकि सारे व्याख्यानों को यदा कदा सुनने हेतु आमुख पटल पर खोजना अथवा यूट्यूब पर ढूंढना कष्टसाध्य होता है । अतः हमने सोचा कि क्यों न सारे व्याख्यानों का या शास्त्रालोचनम् का एक एण्ड्रायड एप बना लिया जाए जिससे कभी भी किसी भी विद्वान का व्याख्यान सुन सकते है । इस एप में विद्वानों के नाम से अथवा उनके द्वारा प्रदत्त व्याख्यान के शीर्षक से व्याख्यान का अन्वेषण कर सकते है । व्याख्यान के अन्वेषणोपरान्त व्याख्याता के चित्र पर क्लिक करने से वह व्याख्यान उपभोक्ता देख सकते है । भविष्य में भी प्रतिसप्ताह होनेवाले व्याख्यानों को भी इस एप में जोडा जा सकेगा । उपभोक्ता अपने एप को जब कभी अपडेट करेंगे तो नए व्याख्यान उनके एप में स्वतः जुड जाएंगे । इस तरह जिस किसी के पास यह एप होगा वे किसी भी व्याख्यान ने वंचित नहीं रह पायेंगे । संस्कृतं भारतं पर जितने भी लाइव्ह कार्यक्रम में काव्यपाठादि हुए है या होंगे उन्हें भी इस एप में भविष्य में जोडा जाता रहेगा । जिससे उपभोक्ता लाभान्वित हो पाएंगे । अंत में सभी को धन्यवाद देकर निवेदन करता हूं कि वे अपना अभिमत एवं उद्गार अवश्य प्रकट करें ।

प्रो. मदनमोहन झा

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