kisan mitra - sabji ki kheti – कृषि को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में sabji उत्पादन का महत्व आज की स्थिति में बहुत बढ़ गया है। भारत एक शाकाहारी प्रधान देश है जिसमें सब्जियों के द्वारा मानव को सभी प्रकार के पोषक तत्व आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं। सब्जियों में केवल पोषक तत्व ही नहीं होता है बल्कि कई सब्जियां जैसे करेला, लौकी, भिंडी, टमाटर, ककड़ी, परवल तथा गाजर एवं मूली के औषधि गुणों से सभी परिचित हंै। पत्तीदार सब्जियों के रूप में प्रकृति ने हमें एक अनमोल भेंट प्रदान की है। सब्जियों से कुपोषण की स्थिति से निपटा जाना आसान हो सकता है।
तथा नित्य थोड़ा बहुत पैसा कमाया जा सकता है जिसमें रोजमर्रा के खर्च की व्यवस्था सुलभ हो सकती है। यही कारण है कि अधिकांश sabji को व्यवसायिक दृष्टि से नगदी फसल माना जाता है जैसे आलू का उपयोग हर बड़े-छोटे घरों में प्राय: रोज ही किया जाता है और यदि इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाये तो आलू के विभिन्न उत्पाद हाथों-हाथ बाजार में महंगे दामों में बेचे जा सकते हैं। इसके लिये बाजार में आज समस्या नहीं रह गई है। भारत में सदियों से sabji का उत्पादन होता आ रहा है।
शासन द्वारा प्रचलित अनुदान सभी क्षेत्र एवं सब्जी विशेष के उत्पादन के लिये उपलब्ध है। आज का kisan चाहे तो इसका लाभ उठाकर सब्जी उत्पादन में क्रांति ला सकता है। स्थिति यह है कि किसान और उपभोक्ता के बीच में बिचोलियों की भूमिका बहुत बढ़ गई है। जो सस्ते दामों में सब्जी लेकर दोगुने दामों में उपभोक्ताओं को उपलब्ध हो पाती है। इस दिशा में हरी-ताजी सब्जियों के भंडारण का जितना विस्तार होगा कृषकों को उतने अधिक दाम मिल सकेंगे। परंतु वर्तमान में इसके अभाव का लाभ उठाकर औने-पौने दाम में क्रय चल रहा परंतु विक्रय पर लगाई जाने वाली नकेल अभी बाकी है।
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:-:kisan mitra - sabji ki kheti की मुख्य सूचि:-:
- पौधा-उत्पन्न सब्जियाँ
- हरी-पत्तेदार सब्जियाँ
- बेल-वर्गीय सब्जियां
- कन्द-मूल वर्गीय सब्जियां
- इग्जोटिक सब्जियाँ
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