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नीति के द्वारा मनुष्य जीवन सुखी एवं मधुर बनता है। नीतिमान व्यक्तियों के द्वारा ही श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण होता है अतः इन नीतिश्लोकों में सज्जनों की प्रशंसा, दुर्जन निंदा, मूर्खजन उपहास, विद्या की महिमा, सद्गुण महिमा, भाग्य, कर्म एवं पुरुषार्थ तथा धन के महत्व का वर्णन किया गया है।
मनुष्य का व्यक्तिगत जीवन सुखी एवं समृद्ध बनें इन विचारों के साथ श्लोकों का संकलन महाकवि भर्तृहरि के उपदेशात्मक काव्य नीतिशतक से किया गया है।
उदाहरण:
अज्ञ: सुखमाराध्य: सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञ:।
ज्ञानलवदुर्विदग्धम् ब्रह्मापि तं नरं न रंजयति ।।
हिन्दी अर्थ:
मूर्ख मनुष्य को शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है, विशेषज्ञ विद्वान को और भी आसानी से अनुकूल बनाया जा सकता है। परंतु अल्पज्ञान वाले घमंडी मूर्ख व्यक्ति को स्वयं ब्रह्मा भी संतुष्ट नहीं कर सकता है।